वो शर्मा के जब दूर गई, बांहों में भर तब गले लगाया वो शर्मा के जब दूर गई, बांहों में भर तब गले लगाया
उड़ लेगी मन से जी लेगी अपने हिस्से का जीवन तो क्या अनर्थ हो जाएगा उड़ लेगी मन से जी लेगी अपने हिस्से का जीवन तो क्या अनर्थ हो जाएगा
पहले मेरी भूख मिटाई। दर्द में मरहम लगाई। पहले मेरी भूख मिटाई। दर्द में मरहम लगाई।
कभी पापा की उंगलियों को पकड़े हुए, खुद को मैं कहीं बैठे देख रही हूं। कभी पापा की उंगलियों को पकड़े हुए, खुद को मैं कहीं बैठे देख रही हूं।
भूले हुए यार को हमारा ख्याल तो आया। भूले हुए यार को हमारा ख्याल तो आया।
बातों में गुजरती थी रातें, दिन लम्हा भी कितने थे प्यारे बातों में गुजरती थी रातें, दिन लम्हा भी कितने थे प्यारे